Jac Board Class 10 Social Science(History) Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद | सामाजिक विज्ञान ( इतिहास ) अध्याय-2 Important Question 2025
कक्षा 10 | सामाजिक विज्ञान ( इतिहास ) | अध्याय-2 |
---|---|---|
भारत में राष्ट्रवाद |
1. असहयोग आंदोलन कब से कब तक चला ?
उत्तर B : 1920 से 1922
2. 'भारत छोड़ो' आंदोलन कब शुरू हुआ ?
उत्तर C : 1942
3. रॉलट एक्ट कब पारित हुआ ?
- 1918 से 1920
- 1920 से 1922
- 1922 से 1924
- 1921 से 1923
उत्तर B : 1920 से 1922
2. 'भारत छोड़ो' आंदोलन कब शुरू हुआ ?
- 1930
- 1940
- 1942
- 1945
उत्तर C : 1942
3. रॉलट एक्ट कब पारित हुआ ?
- 1918
- 1919
- 1920
- 1921
उत्तर B : 1919
4. ऐनी बेसेंट ने होमरूल लीग की स्थापना कब की ?
- 1914
- 1915
- 1916
- 1918
उत्तर C : 1916
5. क्रिप्स मिशन भारत कब आया ?
- 1939
- 1940
- 1941
- 1942
उत्तर D : 1942
6. 'पूना पैक्ट' कब हुआ ?
- 1928
- 1930
- 1932
- 1935
उत्तर C : 1932
7. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ ?
- 1928, लाहौर यात्रा
- 1930, दांडी यात्रा
- 1932, बारदोली यात्रा
- 1931, चंपारण यात्रा
उत्तर B : 1930, दांडी यात्रा
8. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने दमित वर्ग एसोसिएशन का गठन कब किया ?
- 1925
- 1930
- 1935
- 1940
उत्तर B : 1930
9. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई ?
- 1875
- 1880
- 1885
- 1890
उत्तर C : 1885
10. गाँधीजी ने चंपारण में सत्याग्रह कब शुरू किया ?
- 1915
- 1916
- 1917
- 1918
उत्तर C : 1917
11. 'वंदे मातरम्' गीत के रचयिता कौन थे ?
- रवींद्रनाथ टैगोर
- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
- सुभाष चंद्र बोस
- लाला लाजपत राय
उत्तर B : बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
12. 'करो या मरो' का नारा किसने दिया था ?
- बाल गंगाधर तिलक
- महात्मा गांधी
- भगत सिंह
- सुभाष चंद्र बोस
उत्तर B : महात्मा गांधी
13. जालियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ ?
- 1918
- 1919
- 1920
- 1921
उत्तर B : 1919
14. 'वंदे मातरम्' गीत किस पुस्तक से लिया गया है ?
- गीतांजलि
- हिंद स्वराज
- आनंद मठ
- डिस्कवरी ऑफ इंडिया
उत्तर C : आनंद मठ
15. 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
- महात्मा गांधी
- सुभाष चंद्र बोस
- पं. जवाहरलाल नेहरू
- रवींद्रनाथ टैगोर
उत्तर C : पं. जवाहरलाल नेहरू
16 . सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर : सत्याग्रह एक ऐसा विचार है जिसमें सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज के विचार पर बल दिया जाता है। इसका अभिप्राय है कि अगर आपका उद्देश्य सच्चा है और यदि आपकी अन्याय के विरुद्ध लड़ाई सच्ची है तो आपको इनसे मुकाबले के लिए किसी भी प्रकार के शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। एक सत्याग्राही केवल अहिंसा के बल पर ही अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। उत्पीड़न को अहिंसा के माध्यम से ही सच्चाई को देखने व इसे सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस प्रकार इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही विजय होगी।।
17. साइमन कमीशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
- ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में 1927 ई० में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।
- इस आयोग के सभी सदस्य अँग्रेज थे उनका कार्य यही था कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तदनुरूप सुझाव देना था।
- भारत में इसका विरोध इसलिए हुआ कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे सारे सदस्य अँग्रेज थे। अतः 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों से किया गया। काँग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
- पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने उन पर इतनी लाठियाँ बरसाई कि इस प्रहार से उनकी मृत्यु हो गई।
18. दांडी यात्रा से आप क्या समझते है? संक्षेप में लिखिए ?
उत्तर : महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को नमक कानून के खिलाफ दांडी यात्रा शुरू की। उनका मानना था कि नमक हर व्यक्ति की जरूरत है, इसलिए इस पर टैक्स लगाना गलत है। गांधीजी अपने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से पैदल चलते हुए 240 किमी दूर दांडी पहुंचे और 6 अप्रैल 1930 को समुद्र किनारे नमक बनाकर कानून तोड़ा।
इस आंदोलन ने पूरे देश में आजादी की भावना को मजबूत किया और ब्रिटिश सरकार को कमजोर कर दिया। दांडी यात्रा के बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ, जिससे भारत की आजादी की लड़ाई और तेज हो गई।
19. उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ? व्याख्या कीजिए ?
उत्तर : उपनिवेशों में राष्ट्रवाद का उदय उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ा था क्योंकि उपनिवेशवाद के कारण लोग शोषण और उत्पीड़न का सामना कर रहे थे। इस शोषण और उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लोगों में असंतोष बढ़ा और उन्होंने अपने अधिकारों और आज़ादी के लिए संघर्ष करना शुरू किया।
- उपनिवेशवाद में शक्तिशाली देश दूसरे देशों पर कब्ज़ा करके उनके संसाधनों का इस्तेमाल करते थे।
- उपनिवेशों के लोग अपने देश के हित के लिए एकजुट होने लगे और दमन के खिलाफ संघर्ष किया।
- औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष ने लोगों में एकता की भावना को बढ़ाया।
- महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विभिन्न समूहों को मिलाकर एक बड़ा आंदोलन शुरू किया।
- हर वर्ग पर असर अलग था, इसलिए आज़ादी का मतलब भी सभी के लिए अलग-अलग था।
20. सत्याग्रह के विचार का क्या अर्थ है ? महात्मा गाँधी द्वारा सफलतापूर्वक चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर : सत्याग्रह दमनकारियों के विरुद्ध जन-आंदोलन का एक अहिंसावादी ढंग था। इसमें यह विचार था कि यदि उद्देश्य सच्चा है और संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो दमनकारी के विरुद्ध लड़ने के लिए शारीरिक बल की कोई आवश्यकता नहीं।
गाँधीजी ने दक्षिणी अफ्रीका में सत्याग्रह की तकनीक का सफल प्रयोग किया।
- 1916 ई० में उन्होंने चंपारण के किसानों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया और सरकार को 1918 में चंपारण के किसानों के कल्याण के लिए एक अधिनियम पारित करना पड़ा।
- 1917 में उन्होंने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। फसल खराब हो जाने और प्लेग की महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाए। 1918 में गाँधीजी सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह चलाने अहमदाबाद जा पहुँचे। अंततः सरकार को झुकना पड़ा और लगान का भुगतान अगले वर्ष तक स्थगित कर दिया गया।
- पुनः 1918 ई० में गाँधीजी ने अहमदाबाद के मिल श्रमिकों की हड़ताल में हस्तक्षेप किया तथा उनके वेतन में वृद्धि करने में सहायता की जिसके लिए उन्होंने आमरण अनशन शुरू किया ।
21. रालेट एक्ट क्या था? गांधीजी ने रालेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया? वर्णन करें ?
उत्तर : रॉलट एक्ट 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक काला कानून था। इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय को बिना मुकदमे और बिना सुनवाई के जेल में डाल सकती थी।
- गांधीजी ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ अहिंसक नागरिक अवज्ञा आंदोलन की घोषणा की।
- 6 अप्रैल 1919 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल रखी गई, जिसमें लोग शांतिपूर्ण जुलूस और सभाओं के माध्यम से अपना विरोध जताने लगे।
- देश के विभिन्न शहरों में जुलूस और रैलियां निकाली गईं। रेलवे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, दुकानें बंद हो गईं, और टेलीग्राफ सेवाएं बाधित हो गईं। इससे देश में अस्थिरता का माहौल बन गया।
- ब्रिटिश सरकार ने गांधीजी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया, और अमृतसर में कई स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
- 10 अप्रैल 1919 को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी, जिससे लोग उग्र हो उठे। इस आक्रोश में उन्होंने बैंक, डाकघर और रेलवे स्टेशनों पर हमले किए।
22. कारण बताइए क्यों शहरों में असहयोग आन्दोलन धीमा पड़ गया।
उत्तर : शहरों में असहयोग आंदोलन धीरे-धीरे धीमा पड़ने के मुख्य कारण निम्नलिखित थे:
- लोगों ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया, लेकिन खादी महंगी थी, जिसे गरीब लोग खरीद नहीं सकते थे।
- ब्रिटिश स्कूलों का बहिष्कार किया गया, लेकिन नए भारतीय स्कूल जल्दी नहीं खुल सके, जिससे विद्यार्थी और शिक्षक वापस लौटने लगे।
- वकीलों ने ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार किया, लेकिन भारतीय न्यायालय उपलब्ध नहीं थे, इसलिए वे दोबारा सरकारी अदालतों में जाने लगे।
- ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार से व्यापार और आम लोगों को नुकसान हुआ, जिससे आंदोलन जारी रखना मुश्किल हो गया।
23. गाँधीजी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है। व्याख्या करें ?
उत्तर : महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस, और सामूहिकता के लिए लड़ाई है। ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि ब्रिटिश सरकार इन तीनों आज़ादियों को दबाने की कोशिश कर रही थी।
- ब्रिटिश सरकार लोगों को खुलकर बोलने से रोकती थी। गाँधीजी का मानना था कि बिना अभिव्यक्ति की आज़ादी के कोई भी समाज स्वतंत्र नहीं हो सकता।
- गाँधीजी ने देखा कि ब्रिटिश सरकार प्रेस पर नियंत्रण रखती थी और राष्ट्रवादी अख़बारों पर प्रतिबंध लगा देती थी। उनका मानना था कि स्वतंत्र प्रेस से ही सच्चाई जनता तक पहुँच सकती है।
- ब्रिटिश हुकूमत भारतीयों को शांतिपूर्ण ढंग से संगठित होने और आंदोलन करने से रोकती थी। गाँधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से जनता को संगठित होने और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का संदेश दिया।
- गाँधीजी के अनुसार स्वराज केवल राजनीतिक आज़ादी नहीं, बल्कि नैतिकता, आत्मसंयम और न्याय की स्थापना भी है। इसके बिना राष्ट्रवाद अधूरा रहेगा।
- असहयोग आंदोलन के दौरान गाँधीजी ने इन स्वतंत्रताओं के लिए संघर्ष किया और जनता को अन्याय के खिलाफ अहिंसक तरीके से लड़ने की प्रेरणा दी।
24. खिलाफत आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
- प्रथम विश्वयुद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। अंग्रेजों ने यह घोषणा की, कि मुस्लिम जगत के आध्यात्मिक नेता खलीफा की शक्ति और पद को समाप्त कर दिया जाएगा और ओटोमन सम्राट पर एक सख्त संधि थोपी जाएगी। दुनिया भर के मुस्लिम संप्रदाय ने इसका तीव्र विरोध किया।
- खलीफा के पद को बनाए रखने के लिए और उनकी शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में मुंबई में मोहम्मद अली और शौकत अली नामक दो अली बंधुओं ने खिलाफत समिति का गठन किया । मोहम्मद अली और शौकत अली बंधुओं के साथ - साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त कार्रवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की।
- सितंबर 1920 के कोलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी सहित दूसरे अन्य नेताओं ने यह बात मान ली, कि खिलाफत आंदोलन के जनसमर्थन अथवा स्वराज के लिए एक असहयोग आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए।
25. सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वगा आर समूहों के भारतीयों ने क्यों भाग लिया ? स्पष्ट करें।
उत्तर : सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने हिस्सा लिया, क्योंकि स्वराज के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे-
- ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे, जहां कारोबार पर वैश्विक पाबंदियां नहीं होंगी और व्यापार और उद्योग निर्वाध ढंग से फल फूल सकेंगे।
- धनी किसानों के लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ लड़ाई थी, वे चाहते थे कि लगान में कमी की जाए।
- गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था कि उनके पास स्वयं की जमीन हो, क्योंकि उनमें से बहुत सारे किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे थे। वे चाहते थे कि उन्हें जमींदारों को जो किराया चुकाना था, उसे माफ कर दिया जाए।
- महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति हो सके।
26. जालियाँवाला बाग़ हत्याकांड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ?
उत्तर :
- रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार हो चुके थे। इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 ई० के वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया था।
- अमृतसर के सैनिक प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित कर दिया था, परंतु सभा हुई थी। तब उसने वहाँ पर गोली चलवाई थी, इसमें सैकड़ों व्यक्ति मौत का शिकार हो गए थे।
- इस हत्याकांड के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर आयोग स्थापित किया था और उस आयोग की रिर्पोट के बाद जनरल डायर को अनेक सम्मान दिए थे। इससे महात्मा गाँधी असहयोगी हो गए थे, और उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था।
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना थी। इससे भारत भर में रोष की लहर फूट पड़ी।
27. पूना पैक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?
उत्तर :
- अंबेदकर का मानना था कि दलित वर्ग की समस्याओं का समाधान तथा उनकी सामाजिक अपंगता का निवारण केवल राजनीतिक सशक्तीकरण के द्वारा ही किया जा सकता है। अतः उन्होंने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का जोर-शोर से समर्थन दिया।
- इस विषय पर गाँधीजी से उनका गंभीर विवाद हुआ। इसी बीच सरकार ने अंबेदकर की बात मान ली। इसके विरोध में गाँधीजी ने आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
- अन्य राष्ट्रवादी नेताओं की मध्यस्थता से गाँधीजी और अंबेदकर के बीच सितंबर 1932 ई० में एक समझौता हुआ जिसे पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- इस समझौते के अनुसार दलित वर्ग को प्रांतीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई, हालाँकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होने की व्यवस्था की गई।
28. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचन के सवाल पर क्यों बंटे हुए थे? चर्चा करें।
उत्तर :
- राजनीतिक नेता भारतीय समाज में विभिन्न वर्गों समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।
- डॉ भीमराव अंबेडकर दलित वर्गों या दलितों का नेतृत्व करते थे जबकि मोहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।
- यह नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और अलग निर्वाचन क्षेत्र मांग कर अपने वर्गों और समुदायों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना चाहते थे।
- सभी समुदाय अपने अपने वर्गों के हितों की रक्षा करना -चाहते थे।
- गांधीजी पृथक निर्वाचन का विरोध कर रहे थे, क्योंकि उनका मानना था, कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
29. बहिष्कार के विचार का क्या तात्पर्य है ? गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया।
उत्तर : बहिष्कार का अर्थ है किसी चीज़ या व्यवस्था से दूर रहना या उसे न अपनाना। महात्मा गांधी और अन्य राष्ट्रवादियों ने ब्रिटिश सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ बहिष्कार का विचार अपनाया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन की आर्थिक और राजनीतिक शक्ति को कमजोर करना था।
असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गाँधी ने 1922 ई० को उसे वापस ले लिया। इस आंदोलन के वापस लिए जाने के निम्नांकित कारण थे-
- महात्मा गाँधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे, इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगों को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लेना ही उचित समझा।
- दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएँगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएँगे। महात्मा गाँधी जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई० में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
30. पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा? चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
- युद्ध के कारण ब्रिटेन और यूरोप के कई कारखाने बंद हो गए, जिससे भारतीय उत्पादों की माँग बढ़ी।
- भारतीय उद्योगों को ब्रिटिश सेना के लिए वर्दी, बूट, टेंट, और अन्य सामग्री बनाने का काम मिला।
- ब्रिटिश सरकार ने युद्धकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय उद्योगों में निवेश किया, जिससे उत्पादन बढ़ा।
- युद्ध के कारण रेलवे, सड़कें और अन्य सुविधाएँ विकसित हुईं, जिससे औद्योगिक विकास को बल मिला।
- युद्ध के दौरान कई नए कारखाने खुले और श्रमिकों की माँग बढ़ी, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़े।
31. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर :
- युद्ध के कारण ब्रिटेन और यूरोप के कई कारखाने बंद हो गए, जिससे भारतीय उत्पादों की माँग बढ़ी।
- भारतीय उद्योगों को ब्रिटिश सेना के लिए वर्दी, बूट, टेंट, और अन्य सामग्री बनाने का काम मिला।
- ब्रिटिश सरकार ने युद्धकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय उद्योगों में निवेश किया, जिससे उत्पादन बढ़ा।
- युद्ध के कारण रेलवे, सड़कें और अन्य सुविधाएँ विकसित हुईं, जिससे औद्योगिक विकास को बल मिला।
- युद्ध के दौरान कई नए कारखाने खुले और श्रमिकों की माँग बढ़ी, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़े।
सामाजिक विज्ञान (इतिहास) | ||
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